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ये बात तो बता दो – हिंदी प्रेम कविता

अगर तुम नहीं... तो मैं कौन हूँ? Ved की यह कविता प्रेम, दूरी और पहचान के बीच आत्मा की पुकार को छूती है।
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ये बात तो बता दो – हिंदी प्रेम कविता | ThePoetyfy

ये बात तो बता दो – हिंदी प्रेम कविता

Intro:
कभी-कभी मोहब्बत... सिर्फ चाहने या जताने की चीज़ नहीं रहती — वो हमारी पहचान बन जाती है।

और जब वही मोहब्बत हमसे रूठ जाती है, तो सवाल उठता है...

"अगर तुम नहीं, तो मैं हूँ कौन?"

ये कविता उसी सवाल से शुरू होती है — और जवाब की तलाश में दिल के हर कोने को टटोलती है।

"ये बात तो बता दो" सिर्फ एक प्रेम-कविता नहीं है — ये रिश्ते में मौन, दूरी, आत्म-संदेह और प्रेम की पहचान को छूती हुई अंतरात्मा की पुकार है।

A digital painting of two lovers separated by silence and distance, standing apart under twilight.
तुम नहीं.... तो कौन हूँ मैं?
बिन तुम्हारे, मरहूम हूँ मैं।
तुम सदा हो साथ मेरे,
मेरी जान, ये साज़ तो बजा दो...
तुम भी मुझको चाहती हो,
ये बात तो बता दो।

गर मैं तुमसे नहीं, मेरी जान,
कोई मेरी शनास तो बता दो।
जो निहाँ नहीं तुममें मैं,
तो मेरा कोई पता भी बता दो।
एक पहचान तुमसे है मेरी,
कोई और गर और सूरत है मेरी,
तो आईना मुझे भी दिखा दो।
तुम भी मुझको चाहती हो,
ये बात तो बता दो।

ख़ैर, तुमसे ही आबाद हूँ मैं,
तुमसे ही आज़ाद हूँ मैं।
तुमसे ही अल्मास हूँ मैं,
बिन तुम्हारे — मह्व-ए-यास हूँ मैं।
मगर एक राज़ तो बता दो —
मुझसे भी रौशन हो तुम?
जवाब तो बता दो।
तुम भी मुझको चाहती हो,
ये बात तो बता दो।

तुममें ही छिपा हूँ मैं,
और तुमसे ही ज़ाहिर हूँ।
तुम्हारा ही अक्स हूँ मैं —
ना किसी और की ज़ीनत में।
तुम नहीं तो गुम हूँ मैं,
तुमसे हूँ तो हर सदा हूँ मैं।
तुझसे जुड़ के मैं ख़ुद को समझा,
ये बात तो बता दो — क्या तुझमें भी कहीं मैं बसा हूँ मैं?
अपना जवाब तो बता दो।
तुम भी मुझको चाहती हो,
ये बात तो बता दो।

दुनिया ज़ालिम लगती है —
तुम्हारी ज़ुल्फ़ों के साए में छुप जाऊँ क्या?
सितम खोजते हैं मुझे दर-ब-दर,
तुम्हारे दिल की पनाहों में बस जाऊँ क्या?
इस तीरगी में खो गया हूँ,
तुम्हारी नज़रों से रौशन हो जाऊँ क्या?
आख़िर... अब कुछ तो बोल मेरी जान,
ये ख़ामोशी तो मिटा दो।
तुम भी मुझको चाहती हो,
इस नाराज़गी को हटा दो,
एक बार बस मुस्कुरा दो।

शब्द अर्थ

  • मरहूम – मृत या अस्तित्वहीन
  • शनास – पहचान, परिचय
  • निहाँ – छिपा हुआ, गोपनीय
  • अक्स – प्रतिबिंब, छवि
  • ज़ीनत – शोभा, सुंदरता
  • अल्मास – हीरा, कीमती
  • मह्व-ए-यास – निराशा में डूबा हुआ
  • राज़ – रहस्य, गोपनीय बात
  • शुआ – किरण, प्रकाश
  • पनाह – शरण, आसरा
  • तीरगी – अंधकार, अंधियारा
  • दर-ब-दर – जगह-जगह भटकता हुआ

Outro

यह कविता सिर्फ प्रेम का इज़हार नहीं है — बल्कि उस चुप्पी का आईना है, जो रिश्ते में सवालों को जन्म देती है।

✍️ Written by: Ved
📅 Published on: 15 July 2025

📬 अपनी कविता भेजें: thestoryfy01@gmail.com

1 comment

  1. ❤️‍🩹🙌🏻
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